कन्या भ्रूण हत्या क्यों..?
कन्या भ्रूण हत्या (female foeticide) अवैध तरीके से गर्भपात के माध्यम से माँ के गर्भ से कन्या भ्रूण की समाप्ति है।
आज के समय में यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है जिसकी वजह से कई नई समस्याएँ जैसे लिंग अनुपात बिगड़ना आदि जन्म ले रही हैं।
कन्या भ्रूण हत्या एक ऐसा अभिशाप जिससे भारत बुरी तरह ग्रस्त है । इसे लोगों की छोटी सोच कहें या गिरी हुयी मानसिकता।
ये जो भी है एक बहुत ही शर्मनाक बात है।
वो भारत जहाँ औरत को देवी का रूप माना जाता है। माँ और बहन को सम्मान की नजरों से देखा जाता है। उस भारत में भ्रूण हत्या जैसा कुकृत्य करना तो दूर सोचना भी एक पाप सा लगता है।
न जाने क्यों लोग उस बेटी को बोझ मानने लगते हैं जो दो घरों की जिम्मेवारियां निभाते समय भी कभी शिकायत नहीं करती और फिर भी हमारे समाज के कई लोग अपने गिरे हुए स्तर से ऊपर न उठ कर औरत की महानता को नहीं समझ पाते।
कन्या भ्रूण हत्या के कारण:-
आज भले ही टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ चुका है परंतु लोगों की सोच अभी तक बहुत छोटी है।
भारत की ज्यादातर परंपरा में लड़कियों को बोझ माना जाता है क्योंकि हमारे देश में दहेज़ प्रथा जैसे अभिशाप आज तक समाज में मौजूद हैं।
और कन्या भ्रूण हत्या का सबसे बढ़ा कारण अगर कुछ है तो वो सिर्फ दहेज प्रथा है।
इसके साथ-साथ महिलाओं को यौन उत्पीड़न, बलात्कार तथा मार पीट जैसी बड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
बेटी के जन्म होते हैं ज्यादातर रूढ़िवादी परिवारों में दुख समझा जाता है क्योंकि उन्हें लड़की की पढ़ाई कि नहीं बल्कि उसके विवाह की चिंता सताने लगती है।
लड़कियों या महिलाओं के साथ अन्य कई प्रकार के अत्याचार जैसे छेड़छाड़, बलात्कार, एसिड फेंकना, दुल्हन को पीटना मारना, होते हैं जो हमारे समाज मे एक बहुत बड़ी समस्या है।
इन्हीं सब चीजों के कारण लोग पेट में पल रहे शिशु का लिंग जांच करवाते हैं और वही लोग लड़की होने पर गर्भवती महिला का गर्भपात करवा देते हैं जिसे कन्या भ्रूण हत्या कहा जाता है।
पुरुषवादी भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति निम्न है।
अभिवावक मानते हैं कि पुत्र समाज में उनके नाम को आगे बढ़ायेंगे जबकि लड़कियां केवल घर संभालने के लिये होती हैं।
गैर-कानूनी लिंग परीक्षण और बालिका शिशु की समाप्ति के लिये भारत में दूसरा बड़ा कारण गर्भपात की कानूनी मान्यता है।
तकनीकी उन्नति ने भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा दिया है।
अपराध से जुड़े क़ानूनी प्रावधान:-
भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत प्रावधान:- भारतीय दंड संहिता की धारा 312 कहती है: ‘जो कोई भी जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करता है जब तक कि कोई इसे सदिच्छा से नहीं करता है और गर्भावस्था का जारी रहना महिला के जीवन के लिए खतरनाक न हो, उसे सात साल की कैद की सजा दी जाएगी’।
इसके अतिरिक्त महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है।
सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को रुकने के लिये बहुत ही योजनाएं भी चलाई है।
जैसे :- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
धन लक्ष्मी योजना।
जिससे कन्या भ्रूण हत्या पे रोक लगी जा सके।
कन्या भ्रूण हत्या का समाधान:-
केवल कानून बना देने से सामाजिक बुराई का अंत नहीं हो सकता। महिलाओं के प्रति भेदभाव आम बात है और ख़ास तौर पर कन्या के प्रति उपेक्षा हमारे समाज में गहरे जड़ों तक धंसी है। तमाम कानूनों के बावजूद समाज में पुरुषों की श्रेष्ठता की गलत अवधारणा समाज के लिए खतरनाक है। आम जनता को महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध भेदभाव रखने वाली प्रथाओं के उन्मूलन के लिए संवेदनशील बनाने की तत्काल आवश्यकता है।
साथ मे ही एक ऐसा समाज तैयार करने की जरूरत है जिसमें किसी प्रकार का कोई भेदभाव ना हो।
सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद भी हमारे समाज में यह चीजें लागू नहीं हुई, तो कैसे हम समाज से समाज को भेदभाव मुक्त बनाएं..?
इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है आध्यात्मिक ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान से हमें भगवान का ज्ञान होता है जिससे इंसान पाप करना तो दूर की बात है पाप करने की सोचता भी नही।
आध्यात्मिक ज्ञान से ही यह सारी चीजें लागू हो सकती है और एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सकता है।
वर्तमान समय में जो सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान दे रहा है वह है "संत रामपाल जी महाराज" और संत जी के अनुयाई इसी प्रकार कि कोई बुराई नहीं करते।
दहेज प्रथा, भेदभाव, छुआछूत और गलत मानसिकता संत जी के अनुयायियों से कोसों दूर है।
तो सभ्य समाज से प्रार्थना है कि आप भी एक बार संत जी का ज्ञान अवश्य सुने और अपने समाज को एक स्वस्थ समाज बनाए।
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1 Comments
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